दोस्तो आपने रामायण के पात्रों और घटनाओं से जुड़ी, ना जाने कितनी कहानियां सुनी होंगी, लेकिन शायद ही कोई रामायण के अहम पात्र मंदोदरी के बारे में ज्यादा जानता होगा. वास्तव में रामायण में मंदोदरी का परिचय केवल रावण की पत्नी के रूप में नहीं, बल्कि एक कर्तव्यपरायण और धर्म के रास्ते पर चलने वाली स्त्री के तौर पर किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदोदरी पंच कन्याओं में से एक थी, उसे चिर कुमारी भी कहा जाता था। वह एक पतिव्रता स्त्री थी, जो भगवान शिव की आराधक थी। दोस्तों मंदोदरी से जुड़ा एक सवाल अक्सर हमारे मन मैं आता है कि आखिर रावण कि मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ था? क्या वह भी सलोचना कि तरह रावण के साथ सती हो गयी थी? अगर नहीं तो मंदोदरी ने क्या किया था? यह सवाल लगभग सभी सनातनियों के मन मैं आता होगा। इसलिए यह आर्टिकल आप सभी के के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक है इसलिए आर्टिकल को अंत तक पूरा पढियेगा।
दोस्तो रावण कि मृत्यु के बाद उसकी पटरानी मंदोदरी भी सलोचना कि तरह सती होना चाहती थी लेकिन भगवान राम ने उसे ऐसा करने से रोक लिया। रानी मंदोदरी बहुत धार्मिक और ज्योतिष कि प्रचंड विद्वान थी। रावण के परिवार मैं केवल दो ही ऐसे लोग थे जो माता सीता की अपहरण और युद्ध के खिलाफ थे वो थे विभीषण और मंदोदरी। दोनों बिलकुल भी युद्ध नहीं चाहते थे और लगातार रावण को सीता को सम्मानपूर्वक श्री राम को लौटा देने के पक्ष मैं थे। लेकिन ऐसा कर नहीं पाए और आखिर राम – रावण का युद्ध हुआ। इस युद्ध में रावण मारा गया और उसके बाद भगवान राम ने लंका का राजपाट बिभीषण को सौंप दिया।
रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ?
भगवान राम ने मंदोदरी को सती होने से रोकते हुए समझाया कि उसकी जिंदगी विभीषण के साथ अच्छी रहेगी लेकिन मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। कहा जाता है कि इसके बाद भगवान राम, माता सीता और हनुमान फिर एक बार मंदोदरी को समझाने गए। तब ज्योतिष कि प्रचंड विद्वान मंदोदरी को महसूस हुआ कि धार्मिक और नैतिक तौर पर देवर विभीषण के साथ विवाह करना गलत नहीं होगा। यह महसूस होने के बाद रानी मंदोदरी ने विभीषण के साथ विवाह कर लिया।
मंदोदरी ने विभीषण से विवाह क्यों किया था?
दोस्तो रावण कि मृत्यु के बाद बाल्मीकि रामायण में मंदोदरी के बारे मैं ज्यादा कुछ नहीं बताया गया है। लेकिन रामायण के दूसरे वर्जनों मैं इसके बारे मैं काफी कुछ कहा गया है। हालाँकि यह भी कहा जाता है कि यह विवाह पति – पत्नी के तौर पर एक दूसरे के साथ यौन संबंधों के वजाय विशुद्द राज-काज से जुड़ा था। क्योकि मंदोदरी भी चाहती थी कि रावण कि मृत्यु के बाद लंका मैं स्थायित्व और सुख – शांति बानी रहे। वह भगवान राम से शत्रुता कि जगह मित्रता चाहती थी।
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