श्री शिवाय नमस्तुभ्यं, दोस्तों हर महीने मैं दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। त्रयोदशी तिथि जिस वार को पड़ती है उसी के नाम से प्रदोष व्रत किया जाता है। त्रयोदशी तिथि अगर शनिवार के दिन पड़े तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को दूर करना। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल मैं की गयी आराधना से भगवान भोलेनाथ अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, और साधक की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं। प्रमुख कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि अगर आपके जीवन मैं किसी प्रकार का शनि दोष हो, शनि दशा से आप का जीवन बहुत कष्ट और दुखदायी बन गया हो। अथवा आपका कोई भी काम नहीं बन रहा हो तो शनि प्रदोष के दिन, प्रदोष काल मैं किये गए उपाय से आपकी सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
Pradeep Mishra Shani Pradosh Upay:-
पूज्य पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि वैसे तो किसी भी दिन प्रदोष काल के समय भगवान भोलेनाथ की विशेष आराधना की जा सकती है। लेकिन त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल मैं की गयी पूजा द्वारा भगवान भोलेनाथ अतिशीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। शनि दोष (शनि महादशा) से मुक्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत के दिन कुछ छोटे – छोटे उपाय जरूर करने चाहिए। यह उपाय आप किसी भी शनिवार के दिन प्रदोष काल मैं कर सकते हैं। पूज्य गुरुदेव जी कहते हैं कि काल का और महाकाल का कोई समय नहीं होता, भगवान महाकाल शिव को कभी भी याद किया जा सकता है। इसलिए आपके जीवन मैं जब भी कोई समस्या आये तो आप को किसी विशेष दिन का इन्तजार किये बिना अपने आप को भगवान भोलेनाथ की शरण मैं अर्पित कर देना चाहिए।
शनि प्रदोष व्रत पहला उपाय:-
पंडित प्रदीप मिश्रा जी के अनुसार शनि प्रदोष के दिन प्रदोष काल के समय आपको पूजा मैं एक लोटा जल के साथ तीन चीजें लेनी है। एक बेलपत्र, एक शमी पत्र और एक अक्षत। अब प्रसाद के साथ इन चीजों को लेकर किसी भी शिवालय मैं चले जाना है। मंदिर पहुंचकर सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक करें। उसके बाद हाथ मैं एक बेलपत्र लें, उसी पर एक शमी पत्र और एक अक्षत (चावल) का दाना रख लें। अब इन तीनों को एक साथ पहले अशोक सुंदरी वाले स्थान को स्पर्श करायें और श्री शिवाय नमस्तुभ्यं कहते हुए शिवलिंग पर अर्पित कर दें। मगर ध्यान रखें कि बेलपत्र की डंडी जलाधारी की तरफ होनी चाहिए। अब भगवान भोलेनाथ से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्राथना करें।
शनि प्रदोष व्रत दूसरा उपाय:-
पूजा के लिए एक कलश मैं जल भरें और उसमें एक बेलपत्र, एक शमी पत्र, कनेर का पुष्प, हरी मूंग और थोड़ा सा गन्ने का रस या गुड़ डाल लें। अब किसी शिवालय मैं जाकर उसी जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। और दीपक जलाकर भगवान भोलेनाथ से अपनी कार्य सिद्धि की प्रार्थना करें। घर लौटने के बाद एक दीपक घर के दरवाजे पर भी जलाएं और भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करें, कि हे भोलेनाथ आज जब आप नंदी पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलें तो एक नजर मेरे घर पर भी डाल लेना मेने आपके लिए ही द्वार सजाया है। हे आशुतोष भगवान मैं तो आपके ही भरोसे हूँ, आप चाहें तो मारें और आप चाहें तो तारें। परम पूज्य गुरुदेव प्रदीप मिश्रा जी कहतें कि ऐसा लगातार तीन प्रदोष काल मैं करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और घर मैं सुख संमृद्धि का आगमन होगा।
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