दोस्तो धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले और चार धामों मैं से एक बद्रीनाथ धाम के बारे मैं तो आपने सुना ही होगा। बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य मैं स्थित है। इस धाम के बारे मैं कहा जाता है कि, जो जाये बद्री, वो न आये ओदरी। अर्थात जो व्यक्ति बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर लेता है उसे दुबारा माता के गर्भ मैं नहीं आना पड़ता। बद्रीनाथ के दर्शन करने वाला आवा-गमन के चक्र से मुक्त हो जाता है। इसलिए हर व्यक्ति को जीवन मैं एक बार बद्रीनाथ के दर्शन अवश्य करने चाहिए। आज की वीडियो मैं हम बद्रीनाथ धाम से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य बताएँगे जिनके बारे मैं आप शायद ही जानते होंगे जैसे कि, बद्रीनाथ का यह नाम कैसे पड़ा?,बद्रीनाथ किसका अवतार हैं?, बद्रीनाथ में किसकी मूर्ति है? और बद्रीनाथ धाम की क्या कहानी है?
बद्रीनाथ धाम और भगवान शिव की कहानी
एक बार श्री हरि (विष्णु) के मन में घोर तपस्या करने की इच्छा जाग्रत हुई। वे उचित जगह की तलाश में इधर उधर भटकने लगे। खोजते खोजते उन्हें एक जगह तप के लिए सबसे अच्छी लगी, जो केदार भूमि के समीप नीलकंठ पर्वत पर थी। यह जगह उन्हें शांत, अनुकूल और अति प्रिय लगी। वे जानते थे की यह जगह शिव स्थली है, अत: उनकी आज्ञा ली जाये और यह आज्ञा एक रोता हुआ बालक ले, तो भोले बाबा तनिक भी मना नहीं कर सकते है। अतः भगवान विष्णु ने बालक के रूप में इस धरा पर अवतार लिया और रोने लगे। उनकी यह दशा माता पार्वती से देखी नही गयी और वे शिवजी के साथ उस बालक के समक्ष उपस्थित होकर उनके रोने का कारण पूछने लगे। बालक विष्णु ने बताया कि उन्हें तप करना है और इसलिए उन्हें यह जगह चाहिए। भगवान शिव और पार्वती ने उन्हें वो जगह दे दी और बालक घोर तपस्या में लीन हो गया।
कैसे पड़ा बद्रीनाथ नाम?
तपस्या करते करते सालों बीतने लगे और भारी हिमपात होने से बालक विष्णु बर्फ से पूरी तरह ढक चुके थे, पर उन्हें इस बात का कुछ भी पता नहीं था। परन्तु बैकुंठ धाम मैं माता लक्ष्मी से अपने पति की यह हालत देखी नही जा रही थी। उनका मन पीड़ा़ से द्रवित हो उठा। और अपने पति की मुश्किलों को कम करने के लिए वे स्वयं उनके करीब आकर एक बेर (बद्री) का पेड़ बनकर उनकी हिमपात से सहायता करने लगी। फिर कई वर्ष गुजर गये। अब तो बद्री का वो पेड़ भी हिमपात से पूरा सफ़ेद हो चुका था।
कई वर्षों बाद जब भगवान् विष्णु ने अपना तप पूर्ण किया तब खुद के साथ उस पेड़ को भी बर्फ से ढका पाया। क्षण भर में वो समझ गये की माँ लक्ष्मी ने उनकी सहायता हेतू यह तप उनके साथ किया है। भगवान विष्णु ने लक्ष्मी से कहा कि हे देवी, मेरे साथ तुमने भी यह घोर तप इस जगह किया है, अत: इस जगह मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा की जाएगी। तुमने बद्री का पेड़ बनकर मेरी रक्षा की है अत: यह धाम बद्रीनाथ कहलायेगा।
बद्रीनाथ में किसकी मूर्ति है?
इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई है जिसकी चार भुजाये है। कहते है कि देवताओ ने इसे नारदकुंड से निकाल कर स्थापित किया था। यहाँ अखंड ज्योति दीपक जलता रहता है और नर नारायण की भी पूजा होती है। साथ ही गंगा की 12 धाराओं में से एक धार अलकनन्दा के दर्शन का भी फल मिलता है।
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