नवरात्री क्यों मनाई जाती हैं? घट स्थापना और जौ बोने का रहस्य

दोस्तो हिन्दू धर्म मैं नवरात्री अर्थात नव दुर्गा पूजा का बहुत महत्व है। सनातन धर्म मैं साल मैं चार बार नवरात्री मनाई जाती हैं। इनमे से दो गुप्त नवरात्री और दो मुख्य नवरात्री होती हैं। मुख्य नवरात्री चैत्र और अश्विन माह मैं मनाई जाती हैं। इन नवरातों मैं माता के अलग – अलग नौ स्वरूपों की आराधना करने का विधान है। लेकिन क्या आपको पता है कि नवरात्री क्यों मनाई जाती हैं? और नवरातों के पहले दिन घट स्थापना के साथ जौ क्यों बोये जाते हैं? जौ बोने की परंपरा का प्रारम्भ कैसे हुआ? अगर नहीं तो इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक पूरा पढियेगा। इन सभी रहस्यमयी सवालों का जबाब इस आर्टिकल के माध्यम से दिया जायेगा।

Navratri Ghat sathapana or Jou bone ka Karan

नवरात्री क्यों मनाई जाती हैं?

दोस्तो हिन्दू धर्म मैं नवरात्री मानाने के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला वैज्ञानिक कारण और दूसरा आध्यात्मिक कारण। पहले बात करते हैं वैज्ञानिक कारण के बारे मैं, दोस्तो चैत्र नवरात्री के पहले दिन से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। हिन्दू धर्म मैं माता के तीन मुख्य स्वरूपों दुर्गा, माता लक्ष्मी और सरस्वती की आराधना की जाती है। इसलिए नववर्ष के शुभ अवसर पर इन तीनों देवियो से आशीर्वाद लिया जाता है। नवरात्री के नौ दिन सभी भक्त माता की प्रार्थना, ध्यान और उपवास करते हैं। इस उपवास का एक वैज्ञानिक कारण है कि नवरात्री ऋतू परिवर्तन के साथ मनाई जाती हैं। आश्विन नवरात्री के बाद शर्दी कि शुरुआत होती है और चैत्र नवरात्री के साथ गर्मियों कि शुरुआत होती है। इस समय मैं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। साथ ही पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए इन दिनों मैं हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है इसी वजह से नवरात्री का त्यौहार मनाया जाता है।

नवरातों मैं घट स्थापना और जौ बोने का रहस्य

दोस्तो नवरात्री मानाने का दूसरा कारण देवी दुर्गा की कथा से लिया गया है। दुर्गा सप्तसती के ग्यारहवें अध्याय मैं वर्णित कथा के अनुशार एक बार सभी देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर माता शाकम्बरी सभी देवताओ से कहती हैं कि है देवताओ, जब पृथ्वी पर सौ वर्षों तक वर्षा नहीं होगी और पानी का आभाव हो जायेगा। उस समय ऋषि – मुनियों के स्तवन करने पर मैं इस पृथ्वी पर प्रकट होउंगी और सौ नेत्रों से मुनियों को देखूंगी। उस समय सभी मनुष्य शतवक्षी नाम से मेरा कीर्तन करेंगे। उस समय मैं अपने शरीर से उत्पन्न शाकों यानि जौ द्वारा समस्त संसार का भरण – पोषण करुँगी। और जब वर्षा नहीं होगी तब वह शाक (जौ) ही सबके प्राणों की रक्षा करेंगे। इसी कारण से शाकम्बरी देवी नाम से मेरी ख्याति होगी।

दोस्तो ऐसा माना जाता है कि देवी के शरीर से उत्पन्न वे शाक, जौ ही थे। इसलिए हिन्दू धर्म मैं कोई भी शुभ काम जौ के बिना नहीं किया जाता है। साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि इस श्रष्टि की पहली फसल जौ ही थे। यही कारण है की जौ को हिन्दू धर्म ग्रंथों मैं बहुत मान्यता दी गयी है। तभी से नवरात्री मानाने और घट स्थापना के साथ जौ बोने की परंपरा चली आ रही है।

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Updated: August 11, 2024 — 12:37 pm

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