दोस्तो वृंदावन के पूज्य संत प्रेमानंद जी महाराज को कौन नहीं जानता, वे आज के समय के काफी प्रसिद्ध संत हैं। प्रेमानंद जी महाराज राधारानी के परम भक्त हैं और उनका आश्रम वृंदावन मैं स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि प्रेमानंद जी महाराज को स्वयं भगवान भोलेनाथ ने दर्शन दिए थे जिसके बाद वह घर परिवार का त्याग करके वृंदावन आ बसे। प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन आज के दौर मैं बहुत मशहूर हैं। वृंदावन आने वाले ज्यादातर भक्त उनके दर्शनों का लाभ लेना चाहते हैं। यही कारण है कि महाराज जी के दर्शनों के लिए हमेशा भीड़ लगी रहती है। महाराज जी रोजाना सुबह वृंदावन की परिक्रमा के लिए निकलते हैं तब उनके दर्शनों के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है। जब महाराज जी परिक्रमा के लिए निकलते हैं तो वह दृश्य वाकई मनमोहक होता है। परिक्रमा मार्ग मैं महाराज जी के दर्शनों के लिए भक्तो का जमावड़ा लग जाता है। सड़क के दोनों तरफ हाथों मैं फूल लिए केवल भक्त ही भक्त दिखाई पड़ते हैं। यह नजारा देख कर मन प्रसन्न और शांत हो जाता है।
प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए?
प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संग मैं भक्तो के द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जबाब देते हैं। महाराज जी का सत्संग और प्रवचन आज दुनियांभर मैं मशहूर हैं। भक्तो द्वारा पूछे गए प्रश्न और महाराज जी के जबाव के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं। इसी प्रकार के सत्संग मैं एक भक्त ने महाराज जी से पूछ लिया कि क्या हमें प्याज और लहसुन खाना चाहिए? अथवा नहीं? क्या प्याज और लहसुन खाना पाप होता है? जिसका जबाब देते हुए महाराज जी बोले कि भगवत मार्ग मैं चल रहे लोगो के लिए नियम है कि वह प्याज और लहसुन न खाएं क्यों कि यह तमोगुणी वस्तु है। इसलिए भक्तों को चाहिए कि वह भक्तों और संतो के लिए बनाये गए नियमों पर चले क्यों कि वह एक भक्त है और संतों द्वारा बताये गए नियमों का पालन करना उसका धर्म है।
क्या प्याज और लहसुन खाना पाप होता है?
परम पूज्य संत प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि भक्तों को हमेशा सात्विक भोजन ही करना चाहिए। लेकिन जो विद्यार्थी हैं अथवा वड़े व्यापारी हैं और अक्शर घर से बाहर आना जाना लगा रहता है या फिर कोई ऐसी नौकरी करते जिसकी वजह से घर से बाहर रहते हों या विदेश में रहते हैं, तो ऐसे लोगों के लिए प्याज और लहसुन का त्याग करना मुश्किल होता है, क्यों कि वह अक्सर बाहर का खाना खाते रहते हैं। उनके लिए हर जगह बिना प्याज और लहसुन का भोजन उपलब्ध नहीं हो पायेगा। इसलिए ये लोग प्याज और लहसुन का बना भोजन खा भी लें तो वह पाप की श्रेड़ी में नहीं आता। लेकिन इसके अलावा जो भक्त गृहस्थ में रहते हैं उन्हें अपने भोजन में प्याज और लहसुन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
पूज्य गुरुदेव जी कहते हैं कि वैसे तो प्याज और लहसुन वैसे ही पैदा होते हैं जैसे आलू होता है। लेकिन फिर भी प्याज और लहसुन को तामसिक श्रेड़ी मैं रखा गया है। इसलिए भगवत मार्ग पर चल रहे लोगों को इनका सेवन नहीं करना चाहिए। क्यों कि शास्त्र हमें तामसिक भोजन ग्रहण करने की आज्ञा नहीं देता है।
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