दोस्तो महाभारत काल के ऐसे कई रहस्य हैं, जिन्हें बहुत ही कम लोग जानते हैं, महाभारत युद्ध पौराणिक युग में लड़ा गया सबसे बड़ा युद्ध था, जिसमे लाखों की संख्या में योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे ।महाभारत काल से जुड़ा हैरान कर देने वाला एक वाकया है, जब पांडवों ने अपने ही पिता के मरने के बाद उनका मांस खाया था। मगर उन्होंने ऐसा क्यों किया। अगर हम कलयुग की बात करें तो आज की तारीख में हमें ऐसे कई किस्से सुनने को मिलते हैं, मगर कोई भी ऐसा किस्सा नही है जिसमें किसी बेटे ने अपने ही बाप का मांस खाया हो, तो फिर द्वापर युग में पांडवों ने अपने पिता पांडु का मांस क्यों खाया? इस रहस्यमय सवाल का जबाब आप इस आर्टिकल के माध्यम से जान सकते हैं.
दोस्तो, द्वापर युग में पांडवों यानी युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव को अपने पिता का मांस खाना पड़ा था. सुनने में भले ही आपको आश्चर्यजनक लगे लेकिन पौराणिक कथा के अनुसार, पांडव भाइयों द्वारा अपने मृत पिता के मांस को खाना पड़ा था. इसकी वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
ऋषि ने पांडु को क्या श्राप दिया था?
कथा के मुताबिक पांचों पांडवों युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के पिता पांडु थे. पांचों पांडवों का जन्म महाराजा पांडु के वीर्य से नहीं हुआ था. दरअसल एक ऋषि ने पांडु को श्राप दिया था कि अगर वो किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाएंगे, तो उसी क्षण उनकी मौत हो जाएगी. वैसे तो उनकी दो रानियां थीं, कुंती और माद्री. पांडु के ऊपर ऋषि के श्राप का इतना खौफ था कि उन्होंने कभी कुंती और माद्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए.
पांडवों का जन्म कैसे हुआ था?
राजा पांडु की कोई भी संतान न थी जिसके कारण राजा पांडु काफी परेशान रहने लगे। अपने इस श्राप के कारण राजा पांडु इतने दुखी रहने लगे कि उन्हें अपने महल के सुख भी काटने को आते। जिसके बाद राजा पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ सारा राज पाठ छोड़कर वन में चले गए। राजा पांडु अब ब्रम्हचर्य जीवन व्यतीत करने लगे और उन्हें ये बात अंदर से खाने लगी कि, अब उनका वंश आगे कभी नही बढ़ पाएगा। अपने पति को हर समय परेशान देख माता कुंति को ऋषि दुर्वासा द्वारा दिए गए उस वरदान का ध्यान आया, जिससे वह किसी भी देवता का आवाहन कर संतान प्राप्ति का वरदान मांग सकती थी। ये बात जैसे ही उन्होंने राजा पांडु को बताई तो वह बेहद खुश हो गए। जिसके बाद उन्होंने रानी कुंती से इस वरदान को इस्तेमाल कर संतान प्राप्ति की इच्छा जताई, और कुंती ने देवताओं का आवाहन कर युधिष्ठर, भीम और अर्जुन को संतान के रूप में प्राप्त किया। इसके बाद कुंती ने माद्री को भी इस मंत्र का ज्ञान दिया. जिसके बाद माद्री ने नकुल और सहदेव को प्राप्त किया।
पांडवों ने क्यों खाया अपने मृत पिता का मांस?
अब राजा पांडु को संतानों की प्राप्ति तो हो गई थी मगर वो उनके वीर्य से पैदा हुई संताने नहीं थी, जिसके कारण पांडु पुत्रों के अंदर पांडु का ज्ञान, कौशल और बुद्धिमता नही थी। अब राजा पांडु मन ही मन इस बात का अफसोस जताते की कैसे वह अपने सभी गुण अपने पुत्रों को दें। इसी के चलते पांडु ने अपनी मृत्यु से पहले एक ऐसा वरदान मांगा जिससे उनके पुत्रों के भीतर उनके गुण आ जाएं। ये वरदान था कि उनकी मृत्यु के बाद उनके बच्चे उनके शरीर का मांस मिल-बांट कर खा लें, जिससे की उनके गुण और उनका ज्ञान उनके बच्चों में चला जाए। जिसके बाद पांडु ने अपने बच्चों के सामने अपनी आखिरी इच्छा जाहिर की, कि उनके मरने के बाद वह सभी उनके मांस का सेवन कर लें, ताकी उनकी संतानों के अंदर पांडु के गुण आ सकें।
पाण्डु की मृत्यु कैसे हुयी थी?
इसके बाद एक दिन जब राजा पांडु और रानी माद्री वन में घूम रहे थे, तो वह रानी माद्री को देखकर अपने ऊपर नियंत्रण न कर पाए, और जैसे ही पांडु ने माद्री के साथ शारीरिक संबध बनाए वैसे ही पांडु की मृत्यु हो गई। तो महाराज पांडु की बात का मान रखते हुए युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव ने अपने मृत पिता के शरीर का मांस खाया था.
दूसरी कथा के अनुसार मृत पिता पांडु का मांस तो भाइयों ने मिलकर ही खाया था, लेकिन इसका सबसे बड़ा हिस्सा सहदेव ने खाया था. एक और मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए, सभी भाइयों ने नहीं केवल सहदेव ने ही अपने मृत पिता का मांस खाया. सहदेव ने अपने पिता के मस्तिष्क के तीन टुकड़े किए, जैसे ही उन्होंने पहला टुकड़ा खाया उन्हें भूत का ज्ञान हुआ. दूसरा टुकड़ा खाते ही उन्हें वर्तमान का ज्ञान और तीसरे टुकड़े पर उन्हें भविष्य का ज्ञान हो गया. इसलिए ही कहा जाता है कि पांचो पांडवों में सबसे ज़्यादा ज्ञानी सहदेव ही थे. इसी वजह से महाभारत के युद्ध का नतीजा सहदेव ने पहले ही जान लिया था. तब भगवान कृष्ण ने सहदेव को ये श्राप दे दिया कि अगर उन्होंने युद्ध में होने वाली कोई भी बात किसी से बताई तो उनकी मृत्यु हो जाएगी.
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