दोस्तो महाभारत में ऐसे कई योद्धा थे, जो बेहद ही शक्तिशाली थे। उनका मुकाबला करना मतलब मौत को दावत देने के समान था। ऐसे ही एक योद्धा थे पांडु पुत्र भीम। कहा जाता है कि भीम के अंदर 10 हजार हाथियों का बल था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक साधारण मनुष्य की तरह दिखने वाले भीम के अंदर इतनी शक्ति आई कहां से? वर्तमान में यह सवाल काफी रोचक और रहस्यमयी प्रतीत होता है कि, भीम को 10 हजार हाथियों का बल कैसे मिला? लेकिन सच्चाई यही है कि भीम के पास हजारों हाथियों का बल था। इस बात का प्रमाण हमें महाभारत में मिलता है। यकीनन इस रहस्य के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता होगा। जिसका जबाब आप इस आर्टिकल के माध्यम से जान सकते हैं.
दोस्तो, कहते हैं कि 10 हजार हाथियों की शक्ति की बदौलत ही भीम ने एक बार नर्मदा नदी का प्रवाह रोक दिया था। भीम के अंदर इतनी शक्ति आने के पीछे एक रोचक किस्सा है। इसके अनुसार, भीम के पिता का नाम पांडु और माता का नाम कुंती था। उनके बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। भीम में हजार हाथियों का बल था। महाभारत के अनुसार जब पांडवों का जन्म हुआ, उसके कुछ दिन बाद पांडु का निधन हो गया। उस समय पांडु अपनी पत्नी कुंती और माद्री के साथ वन में रहते थे। पांडु की मृत्यु का समाचार जब उनके भाई धृतराष्ट्र को पता चला, तो उन्होंने कुंती, माद्री और उनके पांचों पुत्रों को हस्तिनापुर आने का आमंत्रण भेजा। सभी हस्तिनापुर में रहने लगे। धृतराष्ट्र के 99 पुत्र और एक पुत्री थीं, और पांडव सिर्फ पांच थे।
भीम बचपन से ही काफी शक्तिशाली थे। वह दौड़ने में, निशाना लगाने या कुश्ती लड़ने, सभी खेलों में धृतराष्ट्र के पुत्रों यानी कौरवों को हरा देते थे। हालांकि उनके अंदर कौरवों के प्रति कोई द्वेष नहीं था, लेकिन दुर्योधन के मन में भीमसेन के प्रति दुर्भावना शुरू से ही थी। तब उसने उचित अवसर मिलते ही भीम को मारने का विचार किया। दुर्योधन ने एक बार खेलने के लिए गंगा तट पर शिविर लगवाया, और उस स्थान का नाम रखा उदकक्रीडन। वहां खाने-पीने से लेकर खेलने-कूदने तक सभी व्यवस्था की गई थी। दुर्योधन ने पांचों पांडवों को भी वहां खेलने के लिए बुलाया, और एक दिन मौका पाकर उसने भीम के खाने में जहर मिला दिया। जब भीम ये विषभरा खाना खाकर बेहोश हो गए, तब दुर्योधन ने दुस्शासन के साथ मिलकर उन्हें गंगा में फेंक दिया।
भीम मूर्छित अवस्था में ही पानी के रास्ते नागलोक पहुंच गए। वहां सांपों ने उन्हें खूब डंसा, जिसके प्रभाव से उनके शरीर से विष का असर कम हो गया। इसके बाद जब भीम को होश आया तो, वो आसपास भयंकर सांपों को देखकर उन्हें मारने लगे. जिससे डरकर सभी सांप नागराज वासुकि के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई। सारी बातें जान लेने के बाद नागराज वासुकि, आर्यक नाग के साथ खुद भीम के पास गए। वहां जाते ही आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया। दरअसल, आर्यक नाग भीम के नाना के नाना थे। इसके बाद वो भीम को अपने साथ नागलोक ले गए। वहां उन्होंने नागराज वासुकि से भीम को उन कुण्डों का रस पिलाने की आज्ञा मांगी, जिसमें हजारों हाथियों का बल था। बाद में नागराज वासुकि ने इसकी आज्ञा दे दी, और तब भीम 8 कुण्डों का रस पीकर एक दिव्य शय्या पर सो गए।उधर जब खेल के बाद सभी राजकुमार हस्तिनापुर पहुंचे तो उनमें भीम नहीं थे। विदुर चिंतित हो गए उन्होंने भीम की खोज करनी शुरू कर दिया। उन्हें मालूम नहीं था कि भीम तो नागलोक में दिव्य शय्या पर आराम कर रहे हैं।
नागलोक में भीम 8 दिनों तक सोते रहे, और जब वो जागे तो उनमें 10 हजार हाथियों की शक्ति आ गई थी।तब नागों ने भीम को गंगा किनारे छोड दिया. और इस तरह भीम हस्तिनापुर सकुशल पहुंचे, और माता कुंती और अपने भाइयों को दुर्योधन द्वारा उन्हें विष देकर गंगा में फेंकने, और नागलोक में जो कुछ भी हुआ, सारी बातें बताई। तब युधिष्ठिर ने भीम से कहा कि वो यह बात किसी को भी न बताएं।
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