हनुमानजी को सिंदूर क्यों लगाया जाता है?

दोस्तो भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी के बारे में हम सब ने कई कथाएं सुनी हैं। कलियुग के देवता के रूप में पूजे जाने वाले हनुमान जी अपने भक्तों के सभी कष्टों का नाश करते हैं, और साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं। हम सब हनुमान जी को कई नामों से जानते हैं, जैसे हनुमान जी, पवन पुत्र, बजरंगबली, संकटमोचन आदि। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि, रुद्रावतार हनुमान जी का नाम बजरंगबली कैसे पड़ा?और हनुमानजी को सिंदूर क्यों लगाया जाता है? जिसका जबाब आप इस आर्टिकल के माध्यम से जान सकते हैं. यह कथा बड़ी ही रोचक और रहस्यपूर्ण है.

Hanuman ji ko Sindur kyon chadate hain?

दोस्तो, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रामायण में हनुमान जी वानर के मुंह वाले अत्यंत बलशाली देवता हैं। जिनका शरीर वज्र के समान है, कंधे पर जनेऊ धारण करते हैं, उनके सिर पर स्वर्ण मुकुट और हाथों में गदा है। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि, इस पृथ्वी पर जिन सात लोगों को अमृत्व प्राप्त है, उनमें राम भक्त हनुमान जी का नाम भी शामिल है। भगवान श्रीराम के भक्तों में सबसे ऊपर जिसका नाम है वह पवन पुत्र हनुमान है। वे केवल भक्त नहीं बल्कि अपने इष्ट के प्रति भक्ति के प्रतीक है। श्रीराम का उनके समान तो कोई भक्त है और कभी होगा।

पहले बात करते हैं कि, हनुमान का नाम हनुमान कैसे पड़ा? पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी का नाम बचपन में मारुती था. एक बार मारुती ने सूरज को देखा. मारुती सूरज को देखकर बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गए. उन्होंने सूरज को फल समझ कर खा लिया. इसके बाद संसार में अंधेरा छा गया. सभी देवता चिंतित हो गए. सभी देवता मारुती को मनाने के लिए उनके पास पहुंचे. परन्तु मारुती ज़िद करके बैठ गए, और अंत तक नहीं माने. ऐसे में इंद्रदेव को विवश होकर अपना वज्र उठाना पड़ा. इंद्रदेव ने अपने वज्र से मारुती के हनु (जिसे ठोड़ी कहते है) पर प्रहार किया. जिससे मारुती का हनु टूट गया. इसी वजह से मारुती का नाम हनुमान पड़ गया.

इसके बाद मैं हनुमान जी को बजरंगबली कहा जाने लगा, जिसके पीछे भी दो मत दिए गए हैं। पहला मत यह है कि,हनुमान जी वानरराज केसरी और अंजनी के पुत्र थे. ऋषि मुनियों ने केसरी को अत्यंत बलशाली और सेवाभावी संतान होने का आशीर्वाद दिया था. इसी वजह से हनुमान जी का शरीर वज्र के सामान कठोर था. तभी हनुमान जी को वज्रांग कहा जाने लगा. अधिक शक्तिशाली होने की वजह से वज्रांग के साथ बलि भी जुड़ गया. इसी वजह से हनुमान जी का नाम वज्रांगबली पड गया. जिसे बोलचाल की भाषा में बजरंगबली कहा जाने लगा.

दूसरा मत यहहै कि, श्री राम जी को खुश करने के लिए हनुमान जी ने सिंदूर लगाया था। जिसके कारण हनुमान जी का नाम बजरंगबली हनुमान पड़ा।संस्कृत भाषा में बजरंग का अर्थ कुमकुम या सिंदूर से होता है। इसके पीछे भी एक रोचक कथा है। आप सभी को यह भलीभांति ज्ञात है कि, भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान थे, और हनुमान जी को भी प्रभु श्री राम से अत्यधिक लगाव था.

एक बार हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते देखा, तो उनसे पूछा कि, “आप सिंदूर क्यों लगाती हैं?” हनुमान जी की यह बात सुनकर माता सीता ने बताया कि, वे अपने पति श्री राम की लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सिंदूर लगाती हैं। उन्होंने हनुमान जी को बताया कि, धर्म के अनुसार जो सुहागन महिला अपनी मांग में सिंदूर लगाती है, उसके पति की उम्र लम्बी और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। माता सीता की बात सुनकर बजरंगबली को ख़्याल आया कि, जब मांग में सिन्दूर लगाने से भगवान श्री राम को इतना लाभ मिलता है, तो फिर पूरे शरीर में सिन्दूर लगाने से भगवान श्री राम अमर हो जाएंगे। और “जय श्री राम” बोलते हुए अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लिया। जब श्री राम इस अवस्था में हनुमान जी को देखते हैं, तो वे उनसे इसका कारण पूछते हैं।

तब हनुमान जी, माता सीता की सारी बात भगवान श्री राम को बता देते हैं। यह बात जानकर श्री राम, हनुमान जी की भक्ति से बहुत प्रसन्न होते हैं. और उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि, उन्हें अब से बजरंगबली के नाम से जाना जाएगा। बजरंगबली में बजरंग का अर्थ केसरी रंग से है और बली का अर्थ शक्तिशाली से है। इस प्रकार उन्हें बजरंगबली के नाम से जाना जाता है। हनुमान जी को आकाश पाताल सभी का रक्षाकर्ता बताया गया है. कहते है जो व्यक्ति हनुमान जी की आराधना करता है वह अपने कष्टों से मुक्ति पाता है. हनुमान जी की उपासना करने से मनुष्य का डर खत्म होता है. आत्मविश्वास बढ़ता है.

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Updated: January 23, 2024 — 1:46 pm

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