जय श्री राम मित्रो, आध्यात्म दर्शन वेबसाइट पर आपका स्वागत है. दोस्तो, रामायण को आज तक हमने, आपने, और इस समाज ने, भगवान श्री राम के दृष्टिकोण से देखा। लक्ष्मण को देखा। देवी सीता को जाना। हनुमान के भक्ति भाव को जाना। रावण के ज्ञान को पहचाना, लेकिन यह कभी ध्यान नही दिया, कि इस रामायण में अगर सबसे अधिक उपेक्षित और अनदेखा पात्र कोई था, तो वह थीं लक्ष्मण की पत्नी, और जनक नंदिनी सीता की छोटी बहन उर्मिला जी. जब राम सीता वनवास को जाने लगे, और बड़े आग्रह पर लक्ष्मण को भी साथ जाने की आज्ञा हुई, तो पत्नी उर्मिला ने भी उनके साथ जाने का प्रस्ताव रखा. परन्तु लक्ष्मण ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया, कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है। असीम पतिव्रता उर्मिला के उस नवयौवन कंधों पर इतना बड़ा दायित्व डाल कर लक्ष्मण जी चले गए। अब सवाल यह उठता है कि, लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला ने १४ वर्षों तक क्या किया था? इस रहस्यमय सवाल का जबाब हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे, इसलिए आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़ें, इसी आशा के साथ चर्चा आरम्भ करते हैं.
दोस्तो, रामायण एक पवित्र ग्रंथ ही नहीं एक पवित्र सोच भी है. जिसके हर एक अध्याय और पात्र महत्वपूर्ण है, जिसको पढने से मन को शांति मिलती है, संबंधों में जुडी पवित्रता का अनुसरण होता है. रामायण के प्रमुख पात्रों में देवी उर्मिला का जिक्र भी आता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, उर्मिला जनक नंदिनी सीता की छोटी बहन थीं, और सीता के विवाह के समय ही, दशरथ और सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण को ब्याही गई थीं। लक्ष्मण के लिए राम ही माता-पिता, गुरु, भाई सब कुछ थे, और उनकी आज्ञा का पालन ही इनका मुख्य धर्म था। वे उनके साथ सदा छाया की तरह रहते थे। भगवान श्रीराम के प्रति किसी के भी अपमान सूचक शब्दों को लक्ष्मण कभी बरदाश्त नहीं करते थे।
जब राम और सीता के साथ लक्ष्मण भी वनवास को जाने लगे, तब पत्नी उर्मिला ने भी उनके साथ जाने की जिद की, परन्तु लक्ष्मण ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया, कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है। उर्मिला के लिए यह बहुत कठिन समय था. ऐसे में जबकि वह नव वधू थी, और उसके दांपत्य जीवन की तो अभी शुरुआत ही हुई थी। लक्ष्मण के वनवास जाने के बाद उर्मिला के पिता अयोध्या आए, और उर्मिला को मायके चलने का अनुरोध करने लगे, ताकि मां और सखियों के सान्निध्य में, उर्मिला का पति वियोग का दुख कुछ कम हो सके। परन्तु उर्मिला ने अपने मायके मिथिला जाने से इनकार करते हुए कहा, कि पति की आज्ञा अनुसार, पति के परिजनों के साथ रहना, और दुख में उनका साथ न छोड़ना ही अब उसका धर्म है। यह उर्मिला का अखंड पतिव्रत धर्म था।
जब लक्ष्मण जा रहे थे, तब इस सबसे विकट क्षणों में भी उर्मिला आंसू न बहा सकी. क्योंकि उनके पति लक्ष्मण ने उनसे एक और वचन लिया था, कि वह कभी आंसू न बहाएंगी. क्यूंकि अगर वह अपने दुख में डूबी रहेंगी, तो परिजनों का ख्याल नहीं रख पाएंगी।
अब सवाल यह उठता है कि लक्ष्मण अपनी पत्नी उर्मिला से 14 वर्ष तक दूर रहे, तो उर्मिला ने इस दौरान क्या किया था? इस संबंध एक मान्यता के अनुसार निद्रा देवी, अर्थात नींद की देवी ने लक्ष्मण को, भगवान राम की दिन व रात सेवा करने के लिए उन्हें 14 वर्षों तक नींद ना आने का वरदान दिया था. व उनके बदले की नींद उनकी पत्नी उर्मिला को दे दी थी. इस वरदान के फलस्वरूप लक्ष्मण को 14 वर्षों तक नींद नही आई थी, व उर्मिला 14 वर्षों तक सोती रही थी. क्यों कि रावण के पुत्र मेघनाद को यह वरदान था, कि जो व्यक्ति 14 वर्षों तक सोया न हो वही उसे हरा सकता है। इसलिए लक्ष्मण मेघनाद को मोक्ष दिलवाने में कामयाब हुए थे। हालांकि लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम और भाभी सीता की सुरक्षा, और सेवा में इतने लगे रहे, कि वे 14 वर्ष तक सो ही नहीं पाए। कथा अनुसार उनके बदले उर्मिला 14 वर्ष तक सोती रही।
एक और वाकया ऐसा है जो यह बताता है कि, लक्ष्मण की विजय का मुख्य कारण उर्मिला थी। मेघनाद के वध के बाद उनका शव राम जी के खेमे में था. जब मेघनाद की पत्नी सुलोचना उसे लेने आई, तो पति का छिन्न, भिन्न शीश देखते ही सुलोचना का हृदय अत्यधिक द्रवित हो गया। उसकी आंखें बरसने लगीं।
रोते-रोते उसने पास खड़े लक्ष्मण की ओर देखा, और कहा- “सुमित्रा नन्दन, तुम भूलकर भी गर्व मत करना, कि मेघनाद का वध मैंने किया है। मेघनाद को धराशायी करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी। यह तो दो पतिव्रता नारियों का भाग्य था, जिसमें मैं हार गयी, और तुम्हारी पत्नी उर्मिला जीत गयी.